लेखनी कविता -आदि स्मृति - अमृता प्रीतम

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आदि स्मृति / अमृता प्रीतम काया की हक़ीक़त से लेकर — काया की आबरू तक मैं थी, काया के हुस्न से लेकर — काया के इश्क़ तक तू था। यह मैं ...

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